The present lesson in the series Amritmala, gives the ethical knowledge and the grammatical knowledge of the Sanskrit language called Niti Shaloka.
Sanskrit Chanakya Niti shlokas give us the knowledge of the ethics and strategy.
The Sanskrit shlokas have been taken from the famous Chanakya niti. Through the Sanskrit shlokas we gain good knowledge of ethics and politics.
In this Amritmala series, we have already touched some points of Niti Shaloka in the 7th lesson. Today we will focus some more points about Niti Shaloka and get much more about ethics.
Niti Shalok
अमृतमाला के इस पाठ में हम कुछ श्लोकों का अध्ययन करेंगे। ये श्लोक नीतिशलोक हैं जो विष्णुगुप्त चाणक्य की चाणक्य नीति से लिए गए हैं।
विष्णुगुप्त चाणक्य एक महान दार्शनिक और नीतिकर था। नीतिश्लोकों के माध्यम से हमें राजनीति और लोक व्यवहार का ज्ञान मिलता है और साथ ही संस्कृत पढ़ने का अभ्यास भी हो जाता है।
नाऽत्यन्तं सरलः भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम्। छिद्यन्ते सरलाः तत्र कुब्जाः तिष्ठन्ति पादपाः॥ अर्थनाशं मनस्तापं गृहे दुश्चरितानि च। वंचनम् चाऽपमानं च मतिमान् न प्रकाशयेत्॥
तावत् भयस्य भेतव्यम् यावत् भयम् अनागतम्। आगतम् तु भयम् दृष्ट्वा प्रहर्तव्यम् अशंकया॥
कः कालः कानि मित्राणि कः देशः कौ व्ययाऽगमौ। कः चाऽहम् का च मे शक्तिः इति चिन्त्यम् दिने दिने॥