The present lesson of the Sanskrit literature series, Amritmala presents some interesting riddles of Sanskrit also called Paheliyan.
These riddles give a working practice in Sanskrit grammar and increases the Sanskrit vocab of the beginners as well.
Sanskrit Paheliyan
अमृतमाला के इस पाठ में हम विभिन्न संस्कृत ग्रन्थों से ली गई पहेलियों का का अध्ययन करने जा रहे हैं। ये पहेलियां संस्कृत मे रूचि तो बढ़ाती ही हैं साथ ही राजनीति, लोकनीति और व्यवहार नीति का ज्ञान देने वाली हैं।
संस्कृत व्याकरण के अभ्यास की दृष्टि से भी ये बड़ी सरल, सुगम व रुचिकर हैं, और इनको बड़ी सरलता से कंठस्थ भी किया जा सकता है।
अमृतमाला के पिछले अध्याय मे हमने एक रोचक संस्कृत कथा का श्रवण किया था, आज इसी क्रम मे आगे बढ़ते हुए हम संस्कृत प्रहेलिका का अध्ययन करेंगे।
सीमन्तिनीषु का शान्ता राजा कोऽभूत् गुणोत्तमः।
विद्वद्भिः का सदा वन्द्या अत्रैव उक्तम् ज्ञायताम् ।।
अपदः दूरगामी च साक्षरः न च पण्डितः।
अमुखः स्फुटवक्ता च यः जानाति सः पण्डितः।।
किम् इच्छन्ति नराः काश्याम् भूपानाम् किम् रणे प्रियम् ।
कः वन्द्यः सर्वलोकानाम् दीयताम् एकम् उत्तरम् ।।